चैत्र नवरात्रि 2024: अप्रैल 9, 2024 से चैत्र नवरात्रि शुरू हो रही है, जो हिन्दू समुदाय के लिए अत्यंत पवित्र व मनोकामना सिद्ध करने वाला त्यौहार है। नव रात्रि यानि नौ दिन, नाम से ही ज्ञात है कि यह त्यौहार पूरे नौ दिन तक मनाया जाता है। चैत्र नवरात्रि का त्यौहार माँ दुर्गा को समर्पित है और यह नौ दिन सभी प्रकार के कष्टों को हरने वाले और मनोकामना पूर्ण करने वाले दिन माने गए हैं।
माता दुर्गा, अम्बे माँ, या माँ भवानी, नाम चाहे अलग हो पर उनकी कृपा सभी के लिए सामान है। माँ दुर्गा यानि अदि-शक्ति, वह ही संसार में हर प्रकार की रचना, ऊर्जा, सिद्धि, साहस, शांति, सुरक्षा व ज्ञान का प्रतीक है। शेर पर सवार जब उनकी निर्भीक छवि सामने आती है तो दुष्कर्मियों के मन में एक डर सा पैदा हो जाता है। उनकी शरण लेने वाले भक्तों के लिए यही छवि सुरक्षा व शांति का सन्देश है। उनका उज्ज्वल और शांतिपूर्ण चेहरा भक्तों के लिए एक नयी आशा की किरण जगाता है। सभी नौ दिनों में से प्रत्येक दिन हम माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते हैं। हर दिन देवी दुर्गा के विशेष रूप को समर्पित है । यदि आप इस लेख में दिए गए उपायों का प्रयोग करेंगे और अपने जीवन में किसी विशेष कार्य के लिए लक्ष्यबद्ध हैं, तो आप निश्चित रूप से सफल होंगे। यह हमारा आपसे वादा है। इस नवरात्रि में आपके सभी कष्ट समाप्त हो जाएंगे।
यहां हम अपने पाठकों को नवरात्रि से जुड़ी विस्तृत जानकारी देंगें, चैत्र नवरात्रि कब है, शुभ मुहूर्त, घट स्थापना, माँ दुर्गा के नौ रूप, नवरात्रि का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व, माँ दुर्गा की पूजा कैसे करें, नौ दिनों के लिए शुभ रंग और विशेष प्रसाद, क्या करें और क्या न करें, नवरात्रि से जुड़ी सभी रोचक जानकारी के लिए आगे पढ़ें।
चैत्र नवरात्रि 2024- संक्षिप्त अवलोकन
नवरात्रि दो शब्दों से मिलकर बना है- नव (नई) और रात्रि (रातें)। इसलिए, हमें ताजगी भरी नयी भावनाओं व अवसरों का आभास मिलता है। यह सभी परेशानियों और बाधाओं को समाप्त करने के बाद एक नई शुरुआत का भी प्रतीक है। जिस तरह सूर्य की किरणें अंधेरे को समाप्त क्र देती हैं, उसी तरह से नवरात्रि लोगों के जीवन में नई आशाएं और आकांक्षाएं लेकर आती है। चैत्र नवरात्रि हिंदू कैलेंडर के चैत्र माह, जो आमतौर पर मार्च-अप्रैल में आता है, इसलिए इसे चैत्र नवरात्रि कहा जाता है।
अंक - "नौ"
नवरात्रि से “नौ” का अंक जुड़ा है। यानि यह त्यौहार नौ दिनों तक मनाया जाता है। नौ अंक का एक और महत्व है। चैत्र नवरात्रि में हम देवी के नौ रूपों की पूजा करते हैं। प्रत्येक दिन देवी के एक विशिष्ट रूप को समर्पित है जो एक विशेष आशीर्वाद से जुड़ा है। नवरात्रि के प्रत्येक दिन से भाग्यशाली नौ रंग भी जुड़े हैं। ऐसा माना जाता है कि यदि हम इन निर्धारित रंगों का उपयोग करते हैं और मंदिर में इन रंगों की वस्तुएं चढ़ाते हैं, तो हमारे भाग्य की वृद्धि होती है।
चैत्र नवरात्रि 2024- तिथि और शुभ मुहूर्त
• चैत्र नवरात्रि तिथि: 9 अप्रैल 2024, मंगलवार
• घटस्थापना मुहूर्त: 06:03 पूर्वाह्न - 10:15 पूर्वाह्न
• घटस्थापना अभिजीत मुहूर्त: 11:56 पूर्वाह्न - 12:47 अपराह्न
• प्रतिपदा तिथि प्रारंभ: 8 अप्रैल 2024 को रात 11:52 बजे से
• प्रतिपदा तिथि समाप्त: 9 अप्रैल 2024 को रात्रि 08:32 बजे
चैत्र नवरात्रि का महत्व
यदि हम मोटे तौर पर समझें तो पूजा करने का उद्देश्य है पूजे जाने वाले देवी-देवता के आशीर्वाद को प्राप्त करना। नवरात्रि में भक्त देवी दुर्गा का आशीर्वाद पाने के लिए उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। व्यापक अर्थ में, देवी दुर्गा, शक्ति का प्रतीक है। जैसे देवी ने राक्षस महिषासुर का वध किया था, ठीक वैसे ही हम जीवन के कष्टों व नकारात्मक विचारों से विजयी होने लिए उनकी पूजा करते हैं। यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। हम सभी अपने अंदर के नकारात्मक विचारों को समाप्त करना चाहते हैं, जो वास्तविक खुशी और मोक्ष पाने का एकमात्र तरीका है। देवी दुर्गा की पूजा कर, हम जीवन से नकारात्मकता को हमेशा के लिए समाप्त कर देते हैं।
चैत्र नवरात्रि का ज्योतिषीय महत्व
चैत्र नवरात्रि के ज्योतिषीय महत्व पर नजर डालें तो इस समय सूर्य अपनी उच्च राशि मेष में गोचर करता है। इस प्रकार, चैत्र का महीना, विशेष रूप से ज्ञान, पवित्रता, यश, समृद्धि और धार्मिक महत्त्व को दर्शाता है। सूर्य को ज्योतिष में ग्रहों का राजा कहा गया है और जिसकी कुंडली में सूर्य बलि हो उसे जीवन में यश, समृद्धि, ज्ञान, व आध्यात्मिक मूल्यों की प्राप्ति होती है। सभी उसका गुणगान करते है और वह अपने करियर में उच्च पद पर आसीन होता है। तो अपने जीवन में सूर्य के उच्च गुणों को प्राप्त करने के लिए आपको नवरात्रि का पूजन करना ही चाहिए, यह एक अत्यंत प्रभावी उपाय है। आप Online Consultation के द्वारा अपनी कुंडली में सूर्य की स्थिति जान सकते हैं। सूर्य का शुभ होना आवश्यक है क्योंकि यह कुंडली में अनेक राजयोगों का निर्माण करता है। सूर्य कमज़ोर होने से जीवन में कठिनाइयां बढ़ जाती हैं।
वर्ष 2024 में ग्रहों की स्थिति और भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस बार सूर्य व बृहस्पति, मेष राशि मैं साथ-साथ रहेंगे, यह एक अत्यंत शुभ ज्योतिषीय योग है। वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति जीव है और सूर्य आत्मा है। इस युति को कहा जाता है- जीव+आत्मा = जीवात्मा योग। जिसकी कुंडली में यह योग होता है उस पर दैवीय कृपा होती है, जीवन में कितनी भी कठिनाइयां आएं वह जैसे-तैसे कर के उस परेशानी से बाहर आ ही जाता है। सरकारी नौकरियों या प्रतियोगिताओं में भाग लेने वालों के लिए यह एक शुभ योग है। यदि आपकी जन्म कुंडली में बृहस्पति और सूर्य अच्छे हैं तो आप निश्चित रूप से इस दौरान सफल होंगे। राजनीति, सरकारी परीक्षा, सरकारी नौकरी और चिकित्सा में सफलता के लिए भी यह अच्छा समय है। डॉ विनय बजरंगी की Voice Report से आप जान सकते हैं कि किन उपायों द्वारा आप कठिनाइयों को दूर कर, शुभ परिणामों को पा सकते हैं।
व्रत-उपवास- चैत्र नवरात्रि का अभिन्न अंग
नवरात्रि के दौरान लोग नौ दिनों तक व्रत रखते हैं। हालाँकि, यह व्यक्ति की क्षमता पर निर्भर है। कुछ लोग पहले और आखिरी दिन का व्रत रखते हैं तो कुछ लोग नौ दिनों का व्रत रखते हैं। व्रत के दौरान निम्न बातों का ध्यान रखें :
व्रत के दौरान दिन में एक बार सात्विक भोजन करें।
व्रत के दौरान लोग आमतौर पर फल, साबूदाना, सामक चावल, कुट्टू आटा, आलू और दूध लेते हैं।
व्रत में अनाज, दाल और चावल लेना वर्जित है।
इन शुभ नौ दिनों के दौरान कभी भी मांसाहारी भोजन या शराब का सेवन नहीं करना चाहिए।
भोजन दिन में केवल एक बार ही लिया जाता है, लेकिन फल, चाय, दूध और पानी कितनी भी बार लिए जा सकते हैं।
यह व्रत नवरात्रि के पहले दिन शुरू होता है और नवमी के आखिरी दिन समाप्त होता है। नवमी, भगवान राम के जन्म का भी प्रतीक है।
नवरात्रि में व्रत करने से लाभ
व्रत रखने से शरीर के विषाक्त पदार्थ बाहर आते हैं आपका शरीर शुद्ध हो जाता है और आप अधिक तन्मयता से भगवान् से जुड़ पाते हैं। जब आप भोजन से परहेज करते हैं, तो आप सुस्ती नहीं महसूस करते और पूजा व अन्य अनुष्ठानों में अधिक ऊर्जा से सम्मिलित होते हैं। व्रत रखने से आप बेहतर ध्यान लगा सकते हैं। यदि हम वैदिक कहानियों को पढ़ें तो हम पायेंगें कि वरदान सिर्फ उसे ही मिला जिसने तप किया, भोजन त्याग दिया फिर चाहे वह देव हो या दानव। भोजन त्याग करने से पूरा ध्यान भगवान पर केंद्रित रहता है क्यूंकि उस समय आप चिंता मुक्त हो जाते हैं। उपवास का अर्थ केवल भूखे रहना नहीं है, बल्कि अपने शरीर और आत्मा को शुद्ध करने के लिए मन को एकाग्र करना है। जब हम सात्विक भोजन करते हैं तब भी हमारा मन एकाग्रता को प्राप्त होता है। इस तरह हम दुर्गा माता की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
पूजा विधि- चैत्र नवरात्रि 2024
चैत्र नवरात्रि पूजा शुरू करने से पहले सब कुछ तैयार करना महत्वपूर्ण है। यहां आपको क्या करना है:
1. उस क्षेत्र को साफ करें जहां आप पूजा करेंगे।
2. पूजा के लिए आवश्यक सभी सामग्री इकठ्ठा करें।
3. पूजा के आध्यात्मिक महत्व के लिए खुद को मानसिक रूप से तैयार करें।
यहां उन चीज़ों की सूची दी गई है जिनकी आपको आवश्यकता होगी:
• तांबे का पात्र-1
• आम के पत्ते-9
• नारियल-1
• अगरबत्ती: 1 पैकेट
• फूल: 1 माला
• फल: 5 प्रकार
• मिठाइयाँ
• घी: 1 छोटा डिब्बा
• नए कपड़े
• सिन्दूर
• बिंदी
सुनिश्चित करें कि पूजा शुरू करने से पहले आपके पास यह सामग्री तैयार हों। इससे पूजा सुचारू रूप से करने में मदद मिलेगी।
घटस्थापना: चैत्र नवरात्रि के दौरान घटस्थापना एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, जहां भक्त देवी दुर्गा को अपने घरों या मंदिरों में आमंत्रित करते हैं। पानी से भरा तांबे का कलश पर आम के पत्ते और एक नारियल रखकर, कलश की स्थापना की जाती है। यह कलश पवित्रता और समृद्धि का प्रतीक है। यह स्थापना एक प्रकार से देवी को निमंत्रण है। यह नौ दिवसीय नवरात्रि उत्सव की शुरुआत का प्रतीक है, और भक्त इस अनुष्ठान को गहरी भक्ति और श्रद्धा के साथ करते हैं, और माँ से सुख, समृद्धि और सुरक्षा का आशीर्वाद मांगते हैं।
• माता की चौंकी लगाएं और उन्हें विराजमान करें। देवी को मिठाई, फल, घी का दीया, धूप, नए कपड़े, सिन्दूर, बिंदी और फूल माला चढ़ाएं।
• प्रार्थना करें और मंत्रों का जाप करें।
• आरती करें और भगवान को प्रसाद चढ़ाएं।
• पूजा के दौरान अपने मन को शांत और एकाग्र रखें। मंत्रों का सच्चे मन से जाप करें और आशीर्वाद के लिए आभार प्रकट करें।
चैत्र नवरात्रि के मंत्र
चैत्र नवरात्रि के दौरान मंत्रों का जाप करना बहुत लाभकारी होता है। यहां कुछ शक्तिशाली मंत्र दिए गए हैं जिनका आप जाप कर सकते हैं:
1. "ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडाय विच्चैः"
2. ओम दम दुर्गायै नमः
इन मंत्रों का जाप करें और इनसे मिलने वाली सकारात्मक ऊर्जा को महसूस करें।
मंत्र जाप के लाभ
चैत्र नवरात्रि मंत्रों का जाप करने से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। जब हम इन मन्त्रों को दोहराते हैं, तो हम शांतिपूर्ण और खुश महसूस करते हैं, ठीक उसी तरह जैसे हम ध्यान करते समय महसूस करते हैं। मन्त्र जाप से, हम ब्रह्मांड की सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करते हैं।
देवी के नौ रूप और शुभ रंग
चैत्र नवरात्रि के नौ शुभ दिनों के दौरान भक्त देवी दुर्गा के नौ रूपों या अवतारों की पूजा करते हैं। यहां, हम प्रत्येक अवतार और उससे जुड़े भाग्यशाली रंग के बारे में आपको बतयएंगें। ये भाग्यशाली रंग समृद्धि और सौभाग्य लाने वाले माने गए हैं। इस चैत्र नवरात्रि 2024 में मनोकामना सिद्ध करने के लिए ये उपयोगी टिप्स पढ़ें।
प्रथम दिन- देवी शैलपुत्री
नवरात्रि का पहला दिन देवी शैलपुत्री को समर्पित है। वह बाहर से शांत और अंदर से शक्ति का प्रतीक है। शुभ रंग स्लेटी या ग्रे है। इस रंग को धारण करना चाहिए और मंदिर में इसी रंग की वस्तुएं चढ़ानी चाहिए।
दूसरा दिन- देवी ब्रह्मचारिणी
नवरात्रि के दूसरे दिन भक्त देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करते हैं। वह ज्ञान, ज्ञान, जागरूकता, पवित्रता, और संतुष्टि का प्रतीक है। शुभ रंग नारंगी है। नारंगी रंग की वस्तुएं धारण कर मंदिर में नारंगी रंग की वस्तुएं चढ़ानी चाहिए।
तीसरा दिन- देवी चंद्रघंटा
तीसरा दिन देवी चंद्रघंटा को समर्पित है। वह उपलब्धि, साहस और जीत का प्रतीक है। शुभ रंग सफेद है। इस दिन सफेद रंग के वस्त्र पहनने चाहिए और मंदिर में चढ़ाना चाहिए। यह रंग शांति और पवित्रता का प्रतीक है।
चौथा दिन- देवी कुष्मांडा
चौथा दिन देवी कुष्मांडा को समर्पित है। वह रचना, नई शुरुआत और ऊर्जा का प्रतीक है। इस दिन का शुभ रंग लाल है। लाल रंग के वस्त्र पहनें और लाल वस्तुएं मंदिर में चढ़ाना चाहिए। यह रंग जोश, उत्साह और जीवन शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है।
पांचवां दिन- देवी स्कंदमाता
चैत्र नवरात्रि के पांचवें दिन भक्त देवी स्कंदमाता की पूजा करते हैं। वह सुरक्षा, मातृत्व, प्रेम और बलिदान का प्रतीक है। शुभ रंग नीला है. नीले रंग के वस्त्र पहनें और इसी रंग की वस्तुएं मंदिर में चढ़ाएं। नीला रंग गहरे प्रेम, स्थिरता और आंतरिक गहराई का प्रतीक है।
छठा दिन- देवी कात्यायनी
लोग त्योहार के छठे दिन देवी कात्यायनी की पूजा करते हैं। वह साहस, उग्रता और शक्ति का प्रतीक है। शुभ रंग पीला है। पीले रंग के वस्त्र पहनें और इसी रंग की वस्तुएं मंदिर में चढ़ाएं। पीला रंग सकारात्मकता और समृद्धि को दर्शाता है।
सातवां दिन - देवी कालरात्रि
चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन भक्त देवी कालरात्रि की पूजा करते हैं। वह विनाश का प्रतीक है। शुभ रंग हरा है। हरे रंग के वस्त्र पहनें और इसी रंग की वस्तुएं मंदिर में चढ़ाएं। यह रंग जन्म, सृजन, विकास, प्रकृति और जीवन का प्रतिनिधित्व करता है।
आठवां दिन- देवी महागौरी
नवदुर्गा में आठवां अवतार देवी महागौरी का है। देवी महागौरी आध्यात्मिकता और पवित्रता का प्रतीक है। शुभ रंग नीला-हरा है। मोर के रंग जैसे कपडे पहनें और नीली-हरी वस्तुएं मंदिर मैं चढ़ाएं। यह रंग भव्यता, अनुग्रह और सुंदरता का प्रतिनिधित्व करता है।
नौवां दिन- देवी सिद्धात्री
लोग नवरात्रि के नौवें दिन देवी सिद्धिदात्री की पूजा करते हैं। वह ज्ञान, अध्यात्म, और शुभता का प्रतीक है। शुभ रंग बैंगनी है। बैंगनी रंग के वस्त्र पहनें और इसी रंग की वस्तुएं मंदिर में चढ़ाएं। यह रंग सफलता, और शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है।
नवरात्रि में शुभ रंगों का प्रयोग क्यों करें?
नवरात्रि के दौरान, आपको आश्चर्य हो सकता है कि नौ दिनों में से प्रत्येक के लिए एक अलग रंग क्यों निर्धारित किया गया है। क्या यह एक मिथक है, या इसके पीछे कोई तर्क है? हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार रोजाना अलग-अलग रंगों का प्रयोग करना बेहद शुभ होता है। प्रत्येक दिन के लिए एक विशिष्ट रंग निर्धारित है और यदि आप उस रंग को अपने जीवन में शामिल करते हैं या उस रंग के कपड़े पहनते हैं, तो यह आपको समृद्धि और सफलता प्राप्त करने में मदद कर सकता है। पुजारियों और पंडितों का मानना है कि जैसा कि ऊपर बताया गया है, प्रत्येक दिन रंगों का उपयोग करने से आपको मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होता है। हमारे प्राचीन ग्रंथों में, सभी अनुष्ठानों का कुछ न कुछ अर्थ होता है और रंगों का भी अपना महत्व है।
Source:- https://vinaybajrangitodaypanchang.wordpress.com/2024/04/06/chaitra-navratri-festival-in-2024/
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